यूँ अलविदा कह दिया
यूँ अलविदा कह दिया
साथ मांगा आपने , मैंने साथ दे दिया
था जो अपने पास आप के हाथ दे दिया
बीच मझधार डगमगाई जब नईया
कैसे आपने यूँ अलविदा कह दिया।।
फितरत समझूँ या फ़जीहत समझूँ,
नए सिरे से कैसे फ़िर से समझूँ?
समझना अपनी नासमझी समझता
जब से आपने यूँ अलविदा कह दिया।।
नफ़ा नुक़सान तो व्यापार में होता है
व्यवहार में तो चरित्र आधार होता है
अवधारणाएं मेरी आहत निहारते
जब से आपने यूँ अलविदा कह दिया।।
लेकिं मैं हूँ वो जो हटता कभी नहीं,
सफर जारी हो तो लौटता कभी नहीं
हमराही की उम्मीद छोड़चुका तब से
जब से आपने यूँ अलविदा कह दिया।।
एक छोटी सी उम्मीद फिर भी है ज़िन्दा
लौटती हैं तरंगें समंदर का सदा
अक्सर आंखें मेरी खोजती आप ही को
जब से आपने यूँ अलविदा कह दिया।।