चट्टानों की तरह
चट्टानों की तरह
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चट्टानों की तरह किनारे खड़ा हूँ मैं
वो कहते हैं जिद्द पे अड़ा हूँ मैं ।।
लहरें टकराती बिखर जाती लेकिन
खामोशी ओढ़ कर पड़ा हूँ मैं ।।
दिल टूटे तो जुड़ता नहीं, सुना था
टुकड़ों से अपनी दिल को जोड़ा हूँ मैं।।
देखो तो दिखता नहीं दरारें दिल की
तोड़ने वाले कि हवाले छोड़ा हूँ मैं।।
आप सोचते होंगे गैर या खुदगर्ज़ हमें
मगर आप के हिफाजत पे अड़ा हूँ मैं।।
चट्टानों की तरह किनारे खड़ा हूँ मैं ।।