यकीं से ही हासिल
यकीं से ही हासिल
हर तरकीब उनकी खोटी पड़गयी
साजिशें बुने थे जो छोटी पड़गयी
कोशिशें बहुत हुई मुझे मिटाने कि
हौसले के आगे वो छोटी पडगयी।
फिर भी दौडती रही ये ज़िंदगी
गिरती उठ खड़ी होती है ज़िंदगी
रुकना नहीं जिसने ठान लिया होता
उसके लिये नहीँ हारती है ज़िंदगी।।
टोकते रह गये कई टोकने वाले
ताकते रह गये कई रोकने वाले
रुकावटों को रोक आगे निकल कर
बाजी मारलेते जंग जीतने वाले।
उड़ान ऐसे हो के अम्बर छोटा दिखे
तैराकी ऐसी हो के सागर छोटा दिखे
बुलंदियां छूने की ख्वाहिश के आगे
हर बंदिश छोटा साजिस खोटा दिखे।
निशाने को तीर ही भेद सकता
पत्थर को पानी भी छेद सकता
उम्मीद की हाँ-ना में न उलझ बामन
यकीं से ही लक्ष्य हासिल हो सकता।।