मेरी मोहब्बत को भुला देने वाले
मेरी मोहब्बत को भुला देने वाले
मेरी मोहब्बत को भुला देने वाले।
गुनाह तो बता जा, सजा देने वाले।
क्यों समझा था दिल ने, तुमको मसीहा
मेरी जिंदगी को क़ज़ा देने वाले।
मासूम चेहरा और कातिल नजर से
झूठी अदाओं में, फंसा देने वाले
गम के समंदर में डूबा जिगर है
अंधेरों की मुझको पनाह देने वाले
जख्मी कदम मेरे, गलियों में तेरी
कांटों को राहों में बिछा देने वाले।
अमृत समझ मैंने जहर भी पिया है
मुझे दर्दे दिल की दबा देने वाले।
सजना संवरना तेरा तुझको मुबारक
मेरे जनाजे को सजा देने वाले।
ये कैसी वफ़ा तेरी मेरे दिल के कातिल
वफाओं के बदले, जफ़ा देने वाले।
महफ़िल में तो की जान लेने की कोशिश
अकेले में मुझको, बचा लेने वाले।
क्या सोचकर तुमने मेरा शहर छोड़ा
साथ उम्र भर का, निभा लेने वाले।
अपनी तो फितरत वफ़ा ही रहेगी
रहे तू सलामत , दगा देने वाले।
न शिकवा करेंगे ना, शिकायत करेंगे
मेरी जिंदगी को मिटा देने वाले ।