मेरे साँवरिया
मेरे साँवरिया
क्यूं छुप गया हमसे दूर, मेरे साँवरिया ।
क्यूं तू रुठकर चला गया दूर मेरे साँवरिया ।......
यमुना तट पे मुझ को बुलाया,
लघु रास में खूब नचाया।
आनंद दिया भरपूर, मेरे साँवरिया ।......
जियरा तड़पे, मनवा भटके,
तेरे दरस को अँखिया तरसे।
क्या हुआ मेरा कसूर, मेरे साँवरिया ।......
कुंज निकुंज में तुझ को ढूंढा,
वन उपवन में भी न पाऊँ।
" मुरली " सुना दे मधुर, मेरे साँवरिया ।....
क्यूं रुठ कर चला गया दूर, मेरे साँवरिया ।
क्यूं छुप गया मुझसे दूर, मेरे साँवरिया ।
