मेरे लिए तो ये इश्क है
मेरे लिए तो ये इश्क है
सावन की रिमझिम की चाह है
कम लगता दरिया का पानी है
दीदार तो हाथ की रेत है
जितना पकड़ो उतनी फिसल जानी है
मुझे इज़हार में हिचकिचाहट है
ये समझदारी है या नादानी है
मेरे लिए तो ये इश्क है
बाकी ज़माने के लिए कहानी है
महकमे में मयखाने सा सुरूर है
साकी सी नजरों की बढ़ी परेशानी है
गुफ्तगू कितनी भी कर लो
रुबाई सी हर बात याद मुँह ज़बानी है
शिकारे में घूमने की एक ख्वाहिश है
क़यामत में भी फ़िज़ा वहाँ रूमानी है
मेरे लिए तो ये इश्क है
बाकी ज़माने के लिए कहानी है !
उम्र का तकाज़ा कहती दुनिया
इक तरफ़ा मोहब्बत अब लगती बेमानी है
पहला इश्क़ कोई गुनाह नहीं
वो भी आज़मा ले, एक ही तो जिंदगानी है
अकेले में गुमसुम रहता हूँ
सबको दीवानगी से परेशानी है
मेरे लिए तो ये इश्क है
बाकी ज़माने के लिए कहानी है !
