मेरे खत का जवाब ना आया....
मेरे खत का जवाब ना आया....
खत तो मैंने भेजा था उनको,
पर मेरा कोई जवाब ना आया,
हर खत पर अपना नाम लिखा था,
पर मेरा कोई जवाब ना आया......
खत तो मैंने भेजा था उनको......
हर लफ्जों को लिखकर कागज पर,
आँसू उसको तोहफा किया था,
सिर्फ तू मेरा हो जा कहकर,
हर लफ्जों ने उनसे इल्तिजा किया था,
हर एक सुर्ख पैगाम लिखा था,
याद नहीं अब ऐसा क्या लिखा था,
खत तो मैंने भेजा था उनको,
पर मेरा कोई जवाब ना आया....
रातों में चाँद के शुक्र किये हम,
दिन भर बन आफताब जले हम,
इश्क की कीमत कैसी थी यह,
ख़ुद जलाया फिर भी ना वो माना,
हर पल खफा ही थे मुझसे,
फिर भी सामने उनके होंठों को मुस्काया....
खत तो मैंने भेजा था उनको,
पर मेरा कोई जवाब ना आया.....
कसूर क्या था ..
ना वो कह सका और ना हमको समझा पाया,
रूठ ना जाए वो कही इस डर से,
हर लफ्जों को वफादारी सिखा कर लिखा,
फिर ना जाने वो लौट क्यों ना आया...
खत तो मैंने भेजा था उनको,
पर मेरा कोई जवाब ना आया.......
हर खत पर अपना नाम लिखा था,
पर उनका कोई जवाब ना आया.........