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usha yadav

Romance

4  

usha yadav

Romance

मेरे जेहन में तू

मेरे जेहन में तू

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मेरे जहन में तू ही तू

सोचूँ तो तू दिल में 

आंखें बंद करूँ तो तू सपनों में


क्योंकि मेरे जहन में तू ही तू!


इन नदियों की कल कल ध्वनियों में तू

इन बाँसों के झुरमुट हवाओं में तू अब

 मेरे जहन में तू ही तू……….


सुबह के धूप की चमकती रोशनी तू

रातों की अधिंयारे की चादनीं भी तू

क्योंकि अब मेरे इस जहन में तू ही तू!


दर्द के हर हिस्से की पीड़ा तू

मेरे इस दीवानंगी के पागलपन

की वजह भी तू………..


क्योंकि अब मेरे इस जहन में तू ही तू!


साथ ना होने के आभास में तू

जिंदगी के ख़्वाबों की हर अभिलाषा

में तू, मेरी सांसों की हर चाहत में भी तू


क्योंकि अब मेरे जहन में तू ही तू!




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