मेरे अंदर का शायर
मेरे अंदर का शायर
गर कुछ करने का दिल है ।
दूर कहाँ फिर मंजिल है ।।
डूब नहीं सकती कश्ती,
गर मेरा तू साहिल है ।
जिसने मन में ठान लिया,
उसको ही सब हासिल है ।
तेरी जिद हम दोनों के,
अरमानों की कातिल है ।
मेरे अंदर का शायर,
अब तुझ में भी दाखिल है ।
ये मासूम दीवाना दिल,
क्या तेरे भी काबिल है ।