Dr Lalit Upadhyaya
Drama
ऐसा वो मेरा मित्र,
जो जीवन के खिंचे चित्र।
यादें उसकी है विचित्र,
मेरा प्यारा सोलमेट मित्र।
दोस्त सच्चा वही होता है,
दिल का साफ सही होता है।
बिछुड़ने से फिर दिल रोता है,
जब दिल किसी को खोता है।
कल्याणी है ना...
प्रकृति का मं...
उत्तर प्रदेश ...
वोट है जरूरी
ऊंट किस करवट ...
खेला होवे ?
चलें प्रकृति ...
माँ का आशीर्व...
घर में बीते ब...
क्या कहूँ?
बस, दुनिया के सबसे पवित्र निश्चल प्रेम की परिभाषा है तू माँ। बस, दुनिया के सबसे पवित्र निश्चल प्रेम की परिभाषा है तू माँ।
बचपन के बाद युवावस्था में हम करते हैं संघर्ष ही संघर्ष। बचपन के बाद युवावस्था में हम करते हैं संघर्ष ही संघर्ष।
ये "फील" और बच्चा कहीं खोया हुआ है। ये "फील" और बच्चा कहीं खोया हुआ है।
तू तो ईश्वर का अनुपम उपहार है मॉं। तू तो ईश्वर का अनुपम उपहार है मॉं।
मरते दम तक, बच्चों को यह इतिहास बताया जाएगा उस कांतिमान सूरज को, कुछ और उगाया जाएगा। मरते दम तक, बच्चों को यह इतिहास बताया जाएगा उस कांतिमान सूरज को, कुछ और उगाय...
माँ तो माँ होती है, ओ प्यारी माँ, ओ मेरी भोली माँ। माँ तो माँ होती है, ओ प्यारी माँ, ओ मेरी भोली माँ।
ये दुनिया-जहां सब तेरे वास्ते है माँ, तू है, तभी तो मैं हूँ ना माँ, ये दुनिया-जहां सब तेरे वास्ते है माँ, तू है, तभी तो मैं हूँ ना माँ,
इतनी दुआ के साथ एक मां करती है तेरे चरण स्पर्श। इतनी दुआ के साथ एक मां करती है तेरे चरण स्पर्श।
आजमा ले हमें ले कर कितने भी इम्तेहान आज भरी है हमने उड़ान ! आजमा ले हमें ले कर कितने भी इम्तेहान आज भरी है हमने उड़ान !
पाने इक सुकून को चला अपनी सांस बचाने को पंख लग गए आज साइकिल को पाने इक सुकून को चला अपनी सांस बचाने को पंख लग गए आज साइकिल को
माँ पूजनीय दया की देवी माँ के बिना ना कोई दुनिया मेरी। माँ पूजनीय दया की देवी माँ के बिना ना कोई दुनिया मेरी।
इस युद्ध से लड़ने वाले वो सब कर्मवीर होंगे। इस युद्ध से लड़ने वाले वो सब कर्मवीर होंगे।
गांधीजी के तीन बंदर के माध्यम से बुराइयों से बचने को था समझाया। गांधीजी के तीन बंदर के माध्यम से बुराइयों से बचने को था समझाया।
किस तरह विरान कर दी धरा। मौत से कैसे धरा आज कंप कंपाई। किस तरह विरान कर दी धरा। मौत से कैसे धरा आज कंप कंपाई।
क्यों सोने को मजबूर हूँ। देखो...! मैं एक मजदूर हूँ..। क्यों सोने को मजबूर हूँ। देखो...! मैं एक मजदूर हूँ..।
अतिशयोक्ति नहीं यह, तुम हो हमारी आत्मा का अवलंब। अतिशयोक्ति नहीं यह, तुम हो हमारी आत्मा का अवलंब।
शमा का अभ्यास भी वो करती है सबसे सार्थक भूमिकाओं निभाती है। शमा का अभ्यास भी वो करती है सबसे सार्थक भूमिकाओं निभाती है।
इसके बिना मैं अधुरा, ये है मेरी जान, और मैं इसका चाहवान। इसके बिना मैं अधुरा, ये है मेरी जान, और मैं इसका चाहवान।
हर जन्म तू ही मेरी माँ बने ख़ुदा से यहीं दुआ मांगता हूँ। हर जन्म तू ही मेरी माँ बने ख़ुदा से यहीं दुआ मांगता हूँ।
मां को तुमने गर खुश कर लिया समझो मुक्ति का काम कर लिया। मां को तुमने गर खुश कर लिया समझो मुक्ति का काम कर लिया।