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Sonam Kewat

Tragedy

4  

Sonam Kewat

Tragedy

मेरा देश बदल रहा हैं

मेरा देश बदल रहा हैं

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कपड़ों के साथ-साथ यहाँ 

लोगों की सोच छोटी हो गयी

ईमानदारी की दुनिया थी पर 

अब नियत भी खोटी हो गयी


लोगों के रूप की बात ही क्या

सूरत को खूब चमकाया गया 

नेचुरल ब्यूटी के नाम पर 

बस लोगों को बहकाया गया 


हाथ मिलाते हैं वो गले लगते हैं 

क्या खूब दोस्तों से जकड़ कर 

पीठ पीछे वही दोस्ती का 

मजाक उड़ाते हैं अकड़ कर 


औरतों के बातों का क्या कहना

ये चुगलियों का रूप लेने लगी 

जलन कहीं ऐसा भी होता है कि 

दूसरे को बददुआएं तक देने लगी 


पहले बच्चों को लग जाता था

यूँ आपसी खेल ही खेल में 

अब लग जाए तो नौबत

ले जाती है बड़ों को ही जेल में 


कभी घर की इज्जत को घर में

संभाल कर रखा जाता था 

पर अब इज्जत लुटा कर भी

घर को खूब संभाला जाता है 


पहले लड़कों की नजरें भी

कतराती थीं लड़कियों को देखने में 

पर अब मजा आता है उन्हें 

उन्हीं लड़कियों को छेड़ने में 


पता नहीं कैसे बिगड़ कर भी 

यहाँ सब संभल रहा है और 

तभी तो लोग कहते हैं कि

मेरा देश बदल रहा है.


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