मेरा चाँद
मेरा चाँद
मेरा चाँद जो मुझसे
नाराज हुआ
जिंदगी खामोश सी नजर आती है,
किस गली अब रखूँ कदम
महफिल भी गम की जीती जागती सी
तस्वीर नजर आती है।
खता किसकी
खतागार उसने हमको ही जाना,
उलझने उलझती गई
उसको जो हमने अपनी जिंदगी जाना।
वो बदल गया
अपने ही रंग से,
क्या बोया हमने
क्या पाया हमने
उसके जाने से
जिंदगी का बदनाम ख्वाब
जो देखा हमने।
डायरी के पन्नों में
उसका ही अक्स बाकी रहेगा,
तक़दीर का हर सितम
बनकर उसी का रूप रहेगा।