मधुशाला
मधुशाला
भीड़ बहुत है मधुशाला में,
होती काश पाठशाला में।
बहुत बहाने है आने में,
मकसद उनकी है पीने में।।
मंदिर-मस्जिद बैर कराते,
अलग-अलग सब पर्व मनाते,
लेकिन मिल मधुशाला जाते।
और एक प्याला में पीते।।
सबको मिलते हैं मधुशाला,
पीने को जाते हैं हाला।
भेदभाव दूर करे प्याला,
चाह नहीं यहाँ पड़े ताला।।
प्राण कभी ये ले लेती,
आदत कभी तो बना देती।
सबकी विवेक ये छिन लेती
कभी मित्र बन डस भी देती।।
