STORYMIRROR

Bhavna Thaker

Romance

4  

Bhavna Thaker

Romance

मौसम रूठ गया

मौसम रूठ गया

1 min
58

तिरंगे में लिपटा तन आया लो शहीद के

उपनाम से सजा एक सुहागन का सनम आया.!


आज के बाद उसके हिस्से का मौसम रूठ गया,

आँसूओं के आबशार में हाथों की मेहंदी का रंग

धुल गया, प्रयाग के घाट से मानों पंछी उड़ गया.!


अंधियारे स्नान घाट पर गीले बालों को संवारती,

सकुचाती गोरी से काले तमस का साया लिपट गया,

कामनाएं कतरा रही हंसी को लूट गया मौत का बंजारा.!


सिसकियाँ हलक में अटकी रूदाली सी रो रही,

होठों तक आने को तरसती चिखें बिफर गई,

अपने मधुदेवता की अर्थी के फ़ेरे लेते

उज़डी मांग लिए ब्याहता सुबक पड़ी.!

 

सुनहरी चिड़ीया के पंख कट गए

जीवन की हर सीढ़ियाँ लुढ़क गई

सरमाया लूट गया 

बांस की टहनी सी बिखर गई अबला

उन्मन आँखें भर आई हर फ़ागुन जो फ़िका पड़ गया.!


कंगन बिंदी झुमके पायल का निनाद ही बिछड़ गया

कितनी बातें अनकही रह गई 

कहने सुनने का वक्त ही रेत सा फिसल गया,

एक भरी पूरी मांग से कुमकुम का नाता ही टूट गया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance