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Kapil Jain

Drama Romance

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Kapil Jain

Drama Romance

मैं पत्ती गोलदाना चाय

मैं पत्ती गोलदाना चाय

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मैं पत्ती गोल दाना चाय,

तुम उबलता पानी-दूध,

मैं मिलूँगा जब भी तुममें,

उतरकर,

खो जाएगा मेरा गाढ़ा रंग,

और उबाल आँच के बीच,

तुम पर चढ़ जाएगा चुपचाप,

फिर बदल जाएगा !


तुम्हारा समूचा रंग,

तुम्हारी खुशबू फिर तुमसे,

आएगी केवल मेरी महक,

कोई नही कहेगा तुम्हे पानी दूध,

मुझसे मिलने के बाद,

तुम सिर्फ चाय हो जाओगी,

अपना रंग अपनी महक,

भी भूल जाओगी !


मैं पत्ती गोलदाना,

चाय जो हूँ,

मेरे जैसा नहीं होना,

चाहो अपना रंग,

नहीं खोना चाहो तो,

मुझसे दूर ही रहो,

दूध रहो या पानी,

मुझसे अलग रहो,

तो ही अलग रहेगी,

तुम्हारी कहानी !


वैसे एक बात बताऊँ,

बिना तुममें घुले-मिले,

मैं भी रह जाऊँगा,

जीवन भर बस गोलदाना पत्ती,

चाय होने के लिए मुझे,

तुममें घुलना पड़ेगा,

तो आओ मिल जाएँ हम तुम,

एक नया रूप पाए,

सुगन्ध सुमन की तरह !


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