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Tanmay Mehra

Drama

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Tanmay Mehra

Drama

मैं इक नन्ही सी कली थी

मैं इक नन्ही सी कली थी

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मैं इक नन्ही सी कली थी

अपने ही रंगों में ढली थी

हँसता खिलता था बचपन मेरा

मैं बड़े ही नाज़ों में पली थी


ना मुझे फ़िकर थी जमाने की 

वो उमर मेरी कितनी भली थी

अल्हड़ अठखेलियां थी बातों में

मैं तो अपने ही धुन में चली थी 


चाँद सितारों को छूने की जिद्द मेरी

आश्माँ की चादर भी खुली थी

मेरे बचपन की नादानीयों में

माँ-पापा की मुहब्बत घुली थी

पर अब जहाँ जाती हूँ


मुझे बस हैवान नज़र आते हैं

और देख उनकी हैवानियत को

मैं डरकर सहम जाती हूँ। 


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