मैं हिन्दी भाषा हूँ...
मैं हिन्दी भाषा हूँ...
मैं हिन्दी भाषा हूँ...
मैं एक भाषा हूँ,
एक प्यारी सी परिभाषा हूँ,
मैं भारत देश की मातृभाषा, राष्ट्रभाषा हूँ,
मैं हिन्दी भाषा हूँ,
52 अक्षरों की वर्णमाला हूँ,
देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली सरल सी भाषा हूँ,
मैं हिन्दी भाषा हूँ,
मैं पहेलियों की पहेली हूँ,
मैं स्वरों का स्वर हूँ,
मैं व्यंजनों का ताल हूँ,
वीणा की मधुर तान हूँ,
मैं गायकों के मुख का मधुर गान हूँ,
मैं हिन्दी भाषा हूँ,
मैं कवियों के कलम की आत्मा हूँ,
इस भाषा से वीभत्स, हास्य, करुण, रौद्र,
वीर, श्रृंगार, भयानक, अद्भुत रसों में लिखी जाने वाली हज़ारों कहानियां है,
मुझे तोड़ मरोड़ कर जिस शब्दों में डालोगे,
मैं उन शब्दों का अर्थ बना दूँगी,
मैं कवियों की सुन्दर रचना हूँ,
मैं सब के मन को भाने वाली कविता हूँ,
मैं हिन्दी भाषा हूँ,
आज मुझे सब भूलने लगे,
मेरा महत्व कम होने लगा,
अब तो मैं बन्द पड़ी किताबों की कहानी हूँ,
स्कूलों में अलग से लगने वाली किताब हूँ,
मेरी सरलता ओर मुझे सब भूलने लगे,
मेरी जगह विदेशी भाषा को महत्व देने लगे,
अब सब मुझे भूलने लगे,
अब सब अंग्रेजी में खिट पिट करने लगे,
पुराणों की में महान भाषा हूँ,
इतिहास के पन्नों की मैं अद्भुत भाषा हूँ,
मैं हिन्दी भाषा हूँ।