अब भी कुछ उम्मीद बाकी है !
अब भी कुछ उम्मीद बाकी है !
अनजान से दोस्त और ,
फिर अनजान तक का सफर
जब पहली बार बात हुई तो ,
एक अपनापन सा महसूस हुआ
जब दूसरी बार बात हुई ,
मेरे सारे दायरे है टूट गए
जब तीसरी बार बात हुई ,
मुझे पता लगा कि वो किसी और का है
जब चौथी बार बात हुई तो ,
मेरे सारे मायने ही छूट गए
अब बात नहीं होती है ,
अब बात कभी नहीं होगी
लेकिन जब भी होगी ये तय है की ,
मेरे सारे कायदे ही टूट जाएंगे
ये फायदे की दोस्ती नहीं है ,
ये दिल से दिल का रिश्ता है
हर एक वो रिश्ता जिस्म का नहीं होता ,
ये कब ,कौन ,कहां कोई समझा है
जिस्मों से परे भी एक दुनिया है ,
शायद हम वह के साथी हैं
जो भी हमारी बातें हुईं ,
वो सब यही झलकाती हैं
तू आया था एक
अनजान बनके मेरे जीवन मे
न जाने कब दोस्त
बन गया मेरे दिल का
इस दो पल की दोस्ती में
,न जाने क्यों दरार आ जाती है
कहने को तो इस दुनिया में,
ये सब पल दो पल के साथी हैं
पर तेरे आने से कुछ लगा था ,
अब भी कुछ उम्मीद बाकी है