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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

अब भी कुछ उम्मीद बाकी है !

अब भी कुछ उम्मीद बाकी है !

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अनजान से दोस्त और ,

फिर अनजान तक का सफर

जब पहली बार बात हुई तो ,

 एक अपनापन सा महसूस हुआ 


जब दूसरी बार बात हुई ,

मेरे सारे दायरे है टूट गए 

जब तीसरी बार बात हुई ,

 मुझे पता लगा कि वो किसी और का है 


जब चौथी बार बात हुई तो ,

मेरे सारे मायने ही छूट गए 

अब बात नहीं होती है ,

अब बात कभी नहीं होगी 


लेकिन जब भी होगी ये तय है की ,

मेरे सारे कायदे ही टूट जाएंगे 

ये फायदे की दोस्ती नहीं है ,

ये दिल से दिल का रिश्ता है 


हर एक वो रिश्ता जिस्म का नहीं होता ,

ये कब ,कौन ,कहां कोई समझा है 

जिस्मों से परे भी एक दुनिया है ,

शायद हम वह के साथी हैं 


जो भी हमारी बातें हुईं ,

वो सब यही झलकाती हैं 

तू आया था एक

अनजान बनके मेरे जीवन मे 


न जाने कब दोस्त

बन गया मेरे दिल का 

इस दो पल की दोस्ती में

,न जाने क्यों दरार आ जाती है


कहने को तो इस दुनिया में,

ये सब पल दो पल के साथी हैं 

पर तेरे आने से कुछ लगा था ,

अब भी कुछ उम्मीद बाकी है



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