हम और तुम
हम और तुम
हम सरयू के तीरे बैठे लहरों पर कुछ देख रहे थे।
ठन्डी-ठंडी सर्द हवा में धूप से खुद को सेंक रहे थे।।
हम सरयू के तीरे बैठे लहरों पर कुछ देख रहे थे।
ठन्डी-ठंडी सर्द हवा में धूप से खुद को सेंक रहे थे।।
मिलकर संग में रेत पे अपनी दिल की बातें लेख रहे थे।
कुछ अनबन थी उनके मन में लिख लिख करके मेट रहे थे।।
हम सरयू के तीरे बैठे लहरों पर कुछ देख रहे थे।
ठन्डी-ठंडी सर्द हवा में धूप से खुद को सेंक रहे थे।।
लहरें शीतल चंचल मन से जानें क्या कहती रहती थी।
खुशबू उनकी मेरे साँसों में घुलकर बहती रहती थी।।
हम सरयू के तीरे बैठे लहरों पर कुछ देख रहे थे।
ठन्डी-ठंडी सर्द हवा में धूप से खुद को सेंक रहे थे।।
आँखें उनकी मेरे आँखों में जाने क्या ढूंढ रही थी।
हम उनके हैं बस उनके हैं उनकी आँखें पूछ रही थी।।
हम सरयू के तीरे बैठे लहरों पर कुछ देख रहे थे।
ठन्डी-ठंडी सर्द हवा में धूप से खुद को सेंक रहे थे।।

