इश्क
इश्क
बेशक...
मेरी बेचैनी को और बढ़ा के खुश हो लेना ।
एक दफा...
बस एक दफा तुम इश्क तो कर लो..
भले...
बाद में जां ले लेना...।
भले...
बाद में जां ले लेना...।
मंजिल अपनी दूर बहुत है -2
तुम भी तन्हा मैं भी तनहा ।
तनहाई को मिल के मिटा दो, खो जाएंगे हम तुम वरना।।
बेशक...
मेरी बेचैनी को और बढ़ा के खुश हो लेना ।
एक दफा...
बस एक दफा तुम इश्क तो कर लो..
भले...
बाद में जां ले लेना...।
भले...
बाद में जां ले लेना...।
सागर से बादल बंन करके-2
तेरे संग में निकल पड़ा हूँ ।
तेरे इश्क का याचक हूँ मैं, दिल के दरवाजे पे खड़ा हूँ।।
रूठे हो या मसक कर रहे, बेदर्दी बन दुख को देना।
बेशक...
मेरी बेचैनी को और बढ़ा के खुश हो लेना ।
एक दफा...
बस एक दफा तुम इश्क तो कर लो..
भले...
बाद में जां ले लेना...।
भले...
बाद में जां ले लेना...।

