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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

दिसंबर और जनवरी का रिश्ता

दिसंबर और जनवरी का रिश्ता

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कितना अजीब है ना,

ये दिसंबर और जनवरी का रिश्ता 

जैसे पुरानी यादों

और नए वादों का किस्सा


दोनों काफ़ी नाज़ुक हैं,

दोनो में गहराई है

दोनों वक़्त के राही हैं,

दोनों ने ठोकर खायी है 


यूं तो दोनों का है, वही चेहरा वही रंग 

उतनी ही तारीखें और उतनी ही ठंड 

पर पहचान अलग है दोनों की,

अलग हैं अंदाज़ और अलग हैं ढंग


एक अन्त है, एक शुरुआत,

जैसे रात से सुबह, सुबह से रात 

एक में याद है, दूसरे में आस,

एक को है तजुर्बा, दूसरे को विश्वास ...


दोनों जुड़े हुए हैं ऐसे, धागे के दो छोर के जैसे 

पर देखो दूर रहकर भी साथ निभाते हैं कैसे

 


जो दिसंबर छोड़ के जाता है,

उसे जनवरी अपनाता है

और जो जनवरी के वादें हैं,

उन्हें दिसम्बर भी निभाता है 


कैसे जनवरी से दिसम्बर के 

सफर में 11 महीने लग जाते हैं,

लेकिन दिसम्बर से जनवरी

बस 1 पल में पहुंच जाते हैं 


जब ये दूर जाते हैं, तो हाल बदल देते हैं,

और जब पास आते हैं, तो साल बदल देते हैं


देखने में ये साल के महज़

दो महीने ही तो लगते हैं,

लेकिन सब कुछ बिखेरने

और समेटने का माद्दा रखते हैं


दोनों ने मिलकर ही,

तो बाकी महीनों को बांध रखा है,

अपनी जुदाई को दुनिया के लिए

 एक त्यौहार बना रखा है



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