कुदरत जब देता है..!
कुदरत जब देता है..!
आंखों में सुकूं के पल
चेहरे पर मुस्कान छोड़ देता है
हरियाली से हर ओर
सराबोर कर देता है
कुदरत जब देता है
दिल खोल के देता है।
हंसी वादियां देता है
खुशनुमा समा देता है
सादगी में लिपटी
काली घटाएं देता है
कुदरत जब देता है
दिल खोल के देता है।
कड़कती धूप देता है
घनी पीपल की छांव देता है
बहती मंद मंद पवन में
पसीना सोख लेता है
कुदरत जब देता है
दिल खोल के देता है।
सुरमई शाम देता है
श्वेत चांदनी रात देता है
प्रेमी के हाथों में
माशूका का हाथ देता है
कुदरत जब देता है
दिल खोल के देता है।
घने कोहरे में लिपटी
अद्ध खुली सुबह देता है
ओंस की बूंदों से
तन मन भिगो देता है
कुदरत जब देता है
दिल खोल के देता है
धड़कनों में यादों का
एक नया समंदर देता है
आंखों में अश्क मोती बन
रह रह के बहता है
कुदरत जब देता है
दिल खोल के देता है।
चाल बदल देता है
तकदीर बदल देता है
अच्छे अच्छों की औकात को
फर्श पर ला देता है
कुदरत जब देता है
आदमी की सूरत बदल देता है।
हौसलों को पंख देता है
इरादों में जान देता है
सतरंगी सपनों में
उड़ने को खुला आसमां देता है
कुदरत जब देता है
दिल खोल के देता है।
