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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

खुद को निखार लेना

खुद को निखार लेना

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छोटे छोटे पैर तो कभी चलना सीख ही जाते हैं

मंजिल दूर है पर वो धीरे धीरे बढ़ जाते हैं

हम अपने ही दम से " खुद को निखार लेना " जानते है

तप कर आग में हम सोना बन ही कर आते हैं


मजबूरी जब ,अपने सर पे जिम्मेदारी आई तो समझ आ आती है

इस जिंदगी की दौड़ भी यूं बढ़ती ही जाती है

वो अनाड़ी भी एक खिलाड़ी बन जाते हैं

जब गिर-गिर कर और ठोकर पर ठोकर यूं खाते हैं


बारिश में भीग कर कड़ी धूप में यूं जल कर भी वो बढ़ जाते हैं

न भाग कर ,अपने मुश्किलों से लड़ कर वो जीत कर दिखाते हैं

वो भी अपने वक्त के साथ साथ चलना भी सीख आता है

उसे अपने मेहनत का फल लेना भी आता है


अपने इन हाथों की लकीरों को भी बदल देते हैं

मेहनत करने वाले तूफान का रुख भी यूं मोड़ देते हैं

ये दुनिया रोकती ही रहेगी मगर तुम चलते ही रहना 

न सुनना किसी की बात को तुम अपनी मंजिल को ही देखना


कर हौसला बुलंद तू , तुमने तो इतिहास रचा कदम बड़ा

हंसने वालो को एक दिन चुप करा देना , तुम इतिहास बना देना


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