मैं भी हिन्दुस्तान हूँ
मैं भी हिन्दुस्तान हूँ
मैं भी हिंदुस्तान हूँ
पीड़ित हूँ अपनों से
जीता हूँ सपनों से
लाचार, परेशान हूँ
मैं भी हिंदुस्तान हूँ
विकास, यहाँ बैठ
सहमी डरी सदियो से
विकास के नाम रोती है
बूढी माँ आज भी
दिन के अंधेरे में सोती है
प्रसव पीड़ा को सुन
बच्चे जन्म लेने से पहले
अंतिम साँस लेते हैं
नेता कहते हैं यहाँ
इस घटना से अंजान हूँ
मैं भी हिन्दुस्तान हूँ
योजना यहाँ आती है
जब खुद बूढ़ी हो जाती है
कागज में ही दौड़ लगाती
सड़क घूम घूम रह जाती
गाँव यहाँ के चुपचाप खड़े
पोखर कहता मैं खुद
बन गया कब्रिस्तान हूँ
मैं भी हिंदुस्तान हूँ
यहाँ शिक्षा अब्बल दर्जे का
बच्चे बहुत मेधावी होते हैं
पढ़ते पढ़ते गुरु जी के साथ
जीवन कंधों पर ढोते हैं
विद्यालय इनके अतिसुन्दर
कहता मैं इनका श्मसान हूँ
मैं भी हिंदुस्तान हूँ
सरकार में मेरी गहरी आस्था है
शव निकालने को नहीं रास्ता है
नदियों पर हम खुद पुल बनाते हैं
हम देश के होनहार अभियंता है
संसाधन के बिना ही बनाते पंखा है
गर्मी शर्माकर कहती बादल से
मैं भी गर्मी से परेशान हूँ
मैं भी हिन्दुस्तान हूँ
लोकसेवक सभी, समाज सेवी है
जनता की इतनी सेवा करते हैं
जनता भूख से मरती हैं रोज
ये रात दिन खाने से डरते हैं
कल्याण बहुत तेजी से करते
समाज का भला सदा ही करते
समाज बीमार रहता है रात दिन
कहते मैं अभी भी गुलाम हूँ
मैं भी हिन्दुस्तान हूँ।