मैं अकेला
मैं अकेला
मैं अकेला चलता गया
और कारवाँ बनता गया ।
कुछ शातिर भी जुड़े
कुछ मेरी खातिर भी जुड़े।
मैं अकेला चलता गया
और धुआँ छटता गया ।
कुछ डर के हटते भी गए,
कुछ दिलबर जुड़ते भी गए।
मैं अकेला चलता गया,
और झूठ मिटता गया ।
कुछ में हिम्मत जागी सच की,
और झूठ खामोश करता गया ।
मैं अकेला चलता गया,
और कारवाँ बढ़ता गया,
बढ़ता गया बढ़ता गया।