मै और तुम
मै और तुम
फासले कम क्यों नहीं होते
क्यों दूरियां है गहराई
रिश्ते जब दांव पर लगे
तूने मरहम भी ना लगाई
गिरा हूँ मै बेबस होकर
आँखों में आंसू भर आई
आँखों की नमी भी मेरी
तुम्हें पिघला ना पाई
'मै और तुम' हम हो ना सके
रुत कैसी ये जुदाई की आई।
फासले कम क्यों नहीं होते
क्यों दूरियां है गहराई
रिश्ते जब दांव पर लगे
तूने मरहम भी ना लगाई
गिरा हूँ मै बेबस होकर
आँखों में आंसू भर आई
आँखों की नमी भी मेरी
तुम्हें पिघला ना पाई
'मै और तुम' हम हो ना सके
रुत कैसी ये जुदाई की आई।