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Manju Saini

Tragedy Others

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Manju Saini

Tragedy Others

शीर्षक:धृतराष्ट्र आज भी जीवित

शीर्षक:धृतराष्ट्र आज भी जीवित

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चुपचाप देखते हैं शांत होकर

तमाशा, लुटती अस्मत का

निहारते हैं वस्त्र को चिथड़े होता देख

लपेटे अपने वास्तविक स्वरूप को

दिखावे के लिबास में

कैसे रहे अस्मत निरीह की क्योंकि…

आज भी धृतराष्ट्र जीवित हैं

दर्द से कराहती वस्त्रहीन

स्वयं को अकेली ही पाती हैं

आखिर कब तक दुःशासन यूँ ही

लुटती अस्मत पर ठहाके मारता रहेगा

तालियां बजाते रहेंगे उसके कर्मों पर क्योंकि…

आज भी धृतराष्ट्र जीवित हैं

चीखों के बीच चलते रहेंगे

वो कराहती रहेगी यूं ही पड़ी पृथ्वी पर

क्यों जमीर नहीं धिक्कारेगा तुमको

क्यों छाती फट नहीं जाती उसके चीखने से

चिल्लाती रही बेटी देश की अपनी ही सरहद में

सहती रहेंगी हमारी नन्ही ही कलियां क्योंकि…

आज भी धृतराष्ट्र जीवित हैं



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