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Anindita Kashyap

Tragedy

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Anindita Kashyap

Tragedy

तू अकेला, मेरे हिस्से तन्हाई

तू अकेला, मेरे हिस्से तन्हाई

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पुरानी किताब से एक सुखी गुलाब,

साथ तस्वीर तेरी निकल आई,

पता न चला, तकिए के नीचे से 

कब ये किताबों में समाई।


भूला सा चेहरा सामने आया जब,

एक लंबी सी सांस आई।

मासूम सा चेहरा बना के

मेरी बहत की रुसवाई।।


जाने कौन सी परत से खुश होता,

जो नापता रहा प्यार की गहराई।

तू मेरा न हो पाएगा,

जल्द ये समझ मुझे आई।


मोहल्ले की सबसे उजली 

और मेरी सबसे काली रात।

उस दिन बजी थी तेरी शहनाई।


ज्यादा तो कुछ नहीं,

सिसक कर एक निवाला उतरा,

दूसरा निवाला उतार न पाई।


क्या मिला परखने में

मुहब्बत रास ना आई।

तू भीड़ में भी अकेला।

मेरे हिस्से आई तन्हाई।।



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