मत कर निराश खुद को
मत कर निराश खुद को
मत कर निराश तू,यहां खुद को
फौलाद सा बना तू यहां खुद को
तू कायर नही,एक वीर योद्धा है
जीवन मे शेर बना ले,तू खुद को
यह तेरे आंसू,कोरे आंसू नही है
वे तो एक धधकती हुई ज्वाला है
इनसे दीप जला,तू भीतर घट को
मत कर निराश तू,यहां खुद को
अपने इन आंसुओ की अग्नि से
जला दे,भीतर के सकल तम को
अपनी कमजोरियां,तू याद न कर
सिंहनाद कर,हताशा के वन को
तेरा सबसे बड़ा शत्रु निराशा है
तेरा सबसे बड़ा दोस्त आशा है
आशावान बना तू,यहां खुद को
खिलेंगे फूल फिर से चमन को
एक बार गिरा कोई बात नही है
तू फिर से खड़ा कर,यहां खुद को
न दोहरा तू ,यहां पूर्व गलतियों को
मत कर निराश तू,यहां खुद को
शस्त्र सा काम ले पूर्व कमियों को
ओर जीत जा,इस जीवन-रण को
दुनिया के छल से,तू कदापि न डर
निर्विकार कमल बना तू खुद को
अगर चला गया तू गलत पथ को
कैसे मिलेगी फिर मंजिल तुझको
अपनी राह बदल,तू यहां सही चल
मंजिल पर पायेगा,तू स्वतः खुद को
जिसके विचारों में होती जान है
वो छू लेता एकदिन आसमान है
नकारात्मकता मिटा भीतर वन को
कैसे न खिलेगा फूल,पतझड़ को।