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Hardik Mahajan Hardik

Abstract Tragedy Inspirational

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Hardik Mahajan Hardik

Abstract Tragedy Inspirational

परिवर्तन

परिवर्तन

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परिवर्तन कैसे होगा,

हर नई जड़ का

हवा,पानी, ठंडी,गर्मी

कैसे फिर करेगी परिवर्तन,

अपने सबके जीवन में

वृक्ष जहाँ काट रहे लोग

खेत खलिहानों में,

शूक्ष्म वातावरण को मिलेगी

कैसे फिर ऊर्जा जीवन के

अभाव में,


भावनाओं के विपरीत

हर नई जड़ का कैसा होगा

आवरण हमारी फिर

 प्रकृति का,

घर गली मोहल्ले चारो वृक्षारोपण

से घिरे होते हैं जहाँ 

वहाँ अब कैसे चलाओगे तुम

अपनी साँसें,,हर दिन देखों 

कटता चला जा रहा,


कही घर गृहस्थी, तो कही

पेट्रोल पम्प तो कहीं 

मकान फ्लेट तो 

कहीं मॉल,स्कूल

बनाया जा रहा,

तो कहीं बुने सपने अधूरे करता

तो अधूरे ख़्वाब बुनियादी लिए,


कैसे होगा फिर परिर्वतन 

उम्मीद की नयीं किरणों से

इंतज़ार में,फिर उमस के साथ

हर दिशा को फिर बदलेगा जीवन

 के हर नये क्षण में

शुरुआत कम ऑक्सीजन


की मात्रा पर निर्भर होती चली जा

रही हैं, कैसे मिलेगी फिर 

जीवन को तुम्हारे शुक्ष्म ऊर्जा

जो अब वातावरण अपना

आज खोता चला जा रहा।


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