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Rajit ram Ranjan

Drama Romance Fantasy

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Rajit ram Ranjan

Drama Romance Fantasy

मासूम बन कर बैठे हैं ...!

मासूम बन कर बैठे हैं ...!

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अनजान बन बैठे हैं ऐसे

मुझे जानते ही नहीं जैसे

वो इतनें बदल गए कैसे

अनजान बन बैठे हैं ऐसे!


मायूसी में मासूम बनकर बैठे हैं

घर के कोने में

ऐसे छोड़ गए तन्हा

मिलता ना सुकून

अब रोने में!


कितने दर्द मिले हैं

समझ में आता है

आज उनके होने में

मायूसी में

मासूम बनकर बैठे हैं

घर के कोने में!


हर बात में जिक्र उनकी

हर रात में फिक्र उनकी

और वह है कि

बेफिक्रे बनकर फिरते हैं

जरा सा भी

मेरा ख्याल नहीं

अब जिए भी

तो जिए कैसे

अनजान बन बैठे हैं ऐसे

मुझे जानते ही नहीं जैसे!



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