माँ
माँ
माँ! मैं पतंग हूँ तेरी
मेरी डोर थामे रखना
कितना भी उड़ जाऊं
जमीं से बांधे रखना।
सिखाया है तुमने
ऊँचे-ऊँचे जाना
ऊँचाई पर पहुँच
स्वयं को बचाना।
आशीर्वाद कवच मेरा
संस्कार मेरी ढाल
विश्वास जीने की आस
तुम साँसों की श्वास।
मेरी डोर तेरे हाथ
मेरा माँझा तेरी तराश
न झुकूँगी न कटूँगी
उड़ूँगी ऊँचे आकाश।
रोशन होगा सारा जहाँ
चमकेगा तेरा भी नाम
बेटी नहीं किसी से कम
मानेगा फिर हर इंसान।