मां का आंचल
मां का आंचल
जो वात्सल्य से परिपूर्ण था
था वो मां का आंचल
उसकी ठंडी छांव सदा ही
मन को सुकून देती थी
हर गम को मेरे खुद के ही
आंचल में समेट लेती थी
हर मुश्किल में मुझे बस
जो याद आता था
था वो मां का आंचल
नींद बहुत गहरी होती थी
जब मां की गोदी में सोती थी
सारी थकन मिटा देता था
मेरी मां का आंचल
हर पल जो याद आता था
मन को जो पुलकित करता था
था वो मां का आंचल
रातों में जब सुलग सुलग
के लंबी होती रातें
अचानक से जगा जाती
मुझको तेरी यादें
दूर भले हूं आज मैं तुमसे
हर पर तेरा एहसास कराता
मां तेरा आंचल
कड़ी धूप में छांव सरीखा सा
था वो मां का आंचल
जो वात्सल्य से परिपूर्ण था
था वो मां का आंचल।