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Amita Mishra

Abstract

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Amita Mishra

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माँ का आँचल

माँ का आँचल

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 माँ के आँचल से जब उसका लाल बड़ा हो जाता है।

अपनी ख्वाहिशों के पंख लगा उड़ने तैयार हो जाता है।

कभी पढ़ाई, कभी नौकरी की खातिर उड़ जाता है।

माँ का मन रह जाता वही, बच्चा बड़ा हो जाता है।


माँ की ममता अब उसको बचपन की बातें लगती है।

सही-गलत की सीख अब रोका-टोकी सी लगती है।

लोरी के बिन जो सोता नही अब चुपके सो जाता है।

बड़ा हो गया हूं माँ कहके आँखो से ओझल हो जाता है।


रातों की नींद जिसके लिए वारी वो रातों को जगाता है।

कहाँ होगा, कैसा होगा डर माँ को यही सताता है।

अपनी दुनियां में बेटा जब कुछ दिन माँ को भूल जाता है।

गलत राह पर चलते चलते पत्थर से टकराता है।


दुनियां की ठोकर खाकर बेटा जब घर वापस आ जाता है।

ममता भरी आँचल में माँ के सुकून पा जाता है।

आँखो से बहती अश्रुधारा सब बुरा बहा ले जाता है।

माँ की आँखो से ओझल बेटा फिर आँखो का तारा बन जाता है।


माँ के चरणों मे स्वर्ग है ये भूल मत जाना तुम।

छू लो तुम चाहे अम्बर पर धरती पर पांव रहे।

शहर की हवा कैसी भी हो मन में अपना गाँव रहे।

अमिता का यही कहना सदा माँ के संग ही रहना।


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