महोत्सव -(थीम-3)
महोत्सव -(थीम-3)
आगमन जगत में अक्सर,
होता है हर घर में उत्सव।
आचरण हो ऐसा प्रेरक कि,
परलोक गमन हो महोत्सव।
दृढ़ रहें शुभता के पथ पर सदा,
करते हुए सतत् आत्मावलोकन।
जग हेतु कल्याणकारी कार्य करें,
जिससे यह जगत बन जाए नंदन।
निज निंदा या स्तुति से इस जग में,
हम निश्चित सदा ही रहें अप्रभावित,
तन मन धन से वही करें हम सदा ही,
जिससे हो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का हित।
विरासत में हमें जो भी अपने पूर्वजों,
समाज के हित चिंतकों से मिला है।
हमारे विचारों अनुभवों से समृद्ध हो,
हमें चलाते रहना ऐसा सिलसिला है ।
सार्थक हो जगत में आगमन हमारा,
जिंदादिली से जीएं करें न गुजारा।
निंदा-स्तुति सुख-दु:ख को एक समझें,
हमें सुदृढ़ बनाएं न कुछ बिगाड़े हमारा।
आगमन जगत में अक्सर,
होता है हर घर में उत्सव।
आचरण हो ऐसा प्रेरक कि,
परलोक गमन हो महोत्सव।