जीवन:एक यात्रा
जीवन:एक यात्रा
जीवन भी एक यात्रा है,
जिसका आरंभ जन्म से,
और अंत मृत्यु पर होता है.
जिसके आड़े-टेढ़े पथ पर,
हर जीव चलता जाता है,
सहयात्री अगर मिल जाए तो,
इस आड़े-टेढ़े पथ की यात्रा में भी,
खूब आनंद आता है,
यह असहज पथ बड़ी सहजता से,
पार हो जाता है।
सहयात्री के बिना,
जो इस यात्रा पर होते हैं,
जाकर पूछो उनसे,
यह यात्रा कितनी पीड़ादायक है?
कैसा अनुभव होता है?
जब सहारा देने को नहीं,
हर हाथ धक्का देने को,
आगे आता है.
ऐसा तब होता है,
जब ऊपरवाला सुव्यवस्थित देह देने में कंजूसी दिखलाता है,
जाकर पूछो उनसे,
समाज कैसे-कैसे व्यंग बाण चलाता है,
जिनको ऊपरवाला ऐसी लाठी मारता है.
बिरले होते हैं जिनको ऐसी परिस्थिति में होते हुए भी,
इस यात्रा में आनंद आता है,
उनके साथ कोई ऐसा होता है,
जो हर क्षण उनका मनोबल बढ़ाता है।