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Deepti S

Classics Inspirational Children

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Deepti S

Classics Inspirational Children

माँ आपका आभार

माँ आपका आभार

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माँ


उँगली पकड़ उसने लिखना सिखाया

कैसे लिखूँ उसी के लिए जिसने 

प्रथम गुरु का पद है पाया


माँ ....हाँ वो माँ ही है,हमने जिससे जीवन है पाया

अपनी जान पर खेल उसने हमें संसार दिखाया

अपनी ममता से सींच कर हमें अमृत पान कराया


बच्चों के लिए दुनिया भर से लड़ जाना 

खुद सह लेती सब,अपना कोई दर्द न बतलाया

प्रभु कैसे मोम सी काया को,बिन ज्वाला पिघलना सिखाया


खुद गीले में सो रात भर हमें पलट कर सूखे में सुलाया

एक रोटी खाऊँ तो चार रोटी का आटा एक रोटी पर चिपकाया

फिर भी हमेशा माँ को बच्चा दुबला ही नजर आया


स्कूल से लौटने पर तुम्हें दरवाज़े के पास ही पाया

क्यूँ फ़ालतू में परेशान हो जाती हो कहने वाली मैं

अब माँ बनी हूँ,तब वो चंद सेकंड की देरी होना,समझ आया


इंजेक्शन लगे या चोट बच्चों को,रोता माँ को पाया

बच्चों की पढ़ाई,इम्तिहान कि चिंता,सब डर उसे सताया

कैसे ये दर्द बच्चों से उस तक पहुँचा,माँ बन समझ आया


कैसी भी परिस्थिति रही हो माँ को साथ खड़े पाया

माँ दुनिया का अनमोल तोहफ़ा जिसमें प्रभु रूप समाया

आभार आपका माँ जिसने बेशर्त मोहब्बत करना सिखाया।


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