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Ila Upadhyaya

Fantasy Inspirational

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Ila Upadhyaya

Fantasy Inspirational

लक्ष्य

लक्ष्य

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निशब्द ताकता खड़ा रहा,

प्रतिबिम्ब मौन सा बना रहा।

हृदय को चीरता मेरे,

शूल बन किधर गया ?


द्वंद भेदता मेरे,

मस्तिष्क को प्रताड़ता,

वो भीड़ से अलग ही था.

जो मुझको मुझसे मिला गया।


लक्ष्य जीवन का मेरा,

निरंतर मुझे जगाता रहा।

तू रोज़ कर्म करता रहे,

भूख प्यास भुला दे तू।


एक टक ताकता रहे,

ध्येय को ध्यान रख के तू।

थक के बैठना नहीं,

जब तक चंद्रमा न पा ले तू।


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