STORYMIRROR

AMAN SINHA

Romance Tragedy Fantasy

4  

AMAN SINHA

Romance Tragedy Fantasy

जिस दौर से हम-तुम गुजरे हैं

जिस दौर से हम-तुम गुजरे हैं

1 min
381

जिस दौर से हम-तुम गुजरे हैं, वो दौर ज़माना क्या जाने

हम दोनों हीं बस किरदार यहाँ के, कोई अपना अफसाना क्या जाने


रंगमंच के पर्दे के पीछे, चरित्र सभी गढ़े जाते है

जो कहते है जो करते है, वो बोल सभी लिखे जाते है

हम दोनों अपने किरदार में थे, अपनी बेचैनी कोई क्या जाने

जिस दौर से हम तुम गुजरे हैं, वो दौर ज़माना क्या जाने


है एक लम्हे का साथ सही, पर साथ पुराना लगता है

तु कंधे पर जो हाथ धरे, हर बोझ धुआँ सा लगता है

हम कैसा बोझ उठाते है, वो भार भला कोई क्या जाने

जिस दौर से हम तुम गुजरे हैं, वो दौर ज़माना क्या जाने


हम पास खड़े थे जहाँ सदा, अब लगता जैसे कुछ छुट गया

है दोनों हीं मौजूद मगर, अब खुद से नाता टूट गया

हम कैसे साथ निभाए है, उस दर्द को कोई क्या जाने

जिस दौर से हम तुम गुजरे हैं, वो दौर ज़माना क्या जाने


हम-तुम या ये दुनिया हो, सब बिना स्वाद का हो जाए

एक दिप जले ना आँगन में, त्योहार भी फ़िका हो जाए

उन त्योहारो को मनाने का, शौक हमारा कोई क्या जाने

जिस दौर से हम तुम गुजरे हैं, वो दौर ज़माना क्या जाने।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance