ये ज़मीं ...!
ये ज़मीं ...!
ये ज़मीं ... बिल्कुल शांत ग़ंभीर
धैर्य को धारण करती हुई
आसमाँ के मिलन की सोच
लज्जा से सिंदूरी लाल हुई ..!
और ये आसमाँ भी
धरती के आलिंगन को आतुर
अपना सर्वस्य समेट कर
उसके आँचल में टांक देता है
चाँद सितारे और लगा देता है
उसके भाल पर एक बिंदी सूरज का
और रंग देता है उसका समस्त सुनहले रंग में..!
एक पल ऐसा प्रतीत होता है मानो
दोनों ही रंग गए इक दूजे के रंग में...!!

