कश्मकश
कश्मकश
तुमसे जी भरकर लंबी गुफ्तगू ना भी हो जाना,
एक घड़ी आवाज़ सुनकर दिल को तसल्ली हो जाती है,
ये कैसी कशमकश में डाल दिया तूने या रब,
रोज़ जागती हूँ तो, सूरज की पहली किरन से
तेरी तलब भी जाग जाती है।
तुमसे जी भरकर लंबी गुफ्तगू ना भी हो जाना,
एक घड़ी आवाज़ सुनकर दिल को तसल्ली हो जाती है,
ये कैसी कशमकश में डाल दिया तूने या रब,
रोज़ जागती हूँ तो, सूरज की पहली किरन से
तेरी तलब भी जाग जाती है।