ज़र्रा ज़र्रा
ज़र्रा ज़र्रा
मोहब्बत जब हो फ़िज़ाओं में तो बहक जाते हैं हम,
ज़र्रा ज़र्रा तेरे तबस्सुम का अपने अंदर महकता पाते हैं हम ।
मोहब्बत जब हो फ़िज़ाओं में तो बहक जाते हैं हम,
ज़र्रा ज़र्रा तेरे तबस्सुम का अपने अंदर महकता पाते हैं हम ।