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Kumar Gaurav Vimal

Abstract Drama Fantasy

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Kumar Gaurav Vimal

Abstract Drama Fantasy

ऐ जिंदगी तुझे क्या चाहिए....

ऐ जिंदगी तुझे क्या चाहिए....

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ऐ जिंदगी तुझे क्या चाहिए, 

ज़रा खुलकर बता मुझे...

तेरी बातें मैं नहीं समझ पा रहा,

ज़रा तसल्ली से समझा मुझे...


हर रोज़ यहीं सोचकर उठूं, 

हर रोज़ बस यहीं चाहत होती...

कि नए सवेरे के साथ नई,

इस जिंदगी में थोड़ी राहत होगी...

कुछ बात है तो सुलझा ले अभी,

बता दे मेरी खता मुझे,

ऐ जिंदगी तुझे क्या चाहिए, 

ज़रा खुलकर बता मुझे...


करूं तेरी पसंद कि चीज़ रोज़,

पर तुझे कुछ पसंद ना आए, 

जिन हरकतों से तू मुस्कुराता था,

आजकल कुछ भी तुझे ना भाए...

कोशिशें करता हूँ तुझे रोज़ हंसाने की,

कभी तू भी तो हँसा मुझे...

ऐ जिंदगी तुझे क्या चाहिए, 

ज़रा खुलकर बता मुझे...


तेरी बातें मैं नहीं समझ पा रहा,

ज़रा तसल्ली से समझा मुझे...

ऐ जिंदगी तुझे क्या चाहिए, 

ज़रा खुलकर बता मुझे...


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