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Prafulla Kumar Tripathi

Tragedy Fantasy Inspirational

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Prafulla Kumar Tripathi

Tragedy Fantasy Inspirational

लिखूं मैं कौन सी पुस्तक !

लिखूं मैं कौन सी पुस्तक !

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लिखूं मैं कौन सी पुस्तक, समझ मैं हूं नहीं पाता, 

दिलो दिमाग़ में हो तुम, कहा भी है नहीं जाता।

लिखे क्या ख़ूब लोगों ने, मुहब्बत के कई किस्से, 

मेरा तो हाल ऐसा है , पढ़ा ही है नहीं जाता।।


उमर के इस मुकाम पर हूं, मगर है याद अब भी वो, 

तेरा आना हमारे इश्क़ की सतरंगी दुनियां में।

तेरा मिलना, चहकना, खिलखिलाना और मुस्काना , 

उतारी थीं यहीं ज़न्नत, हमारी नर्क दुनियां में।।


क़िताबों में नहीं पर ख्वाब में हर रात मिलती हो, 

जुड़ा है दिल से दिल का अब भी तेरा मेरा ये नाता।

ये दुनियां ही बनी है इश्क़ के बाबत मेरी जाना, 

जुदाई क्यों हुई यह क़िस्सा पहचाना नहीं जाता।।


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