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Uday Pratap Dwiwedi

Fantasy Others

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Uday Pratap Dwiwedi

Fantasy Others

लगता है सब मिले हुए हैं

लगता है सब मिले हुए हैं

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रात गयी फिर सूरज आता

दिन में चाँद कहीं खो जाता

बारिश भी बरसात में आती

सर्दी में ही हवा सताती


इन सब में यह तालमेल 

कुछ तो घोटाला किये हुए है

लगता है सब मिले हुए हैं


नेता जी का और चुनाव का

मेल मनुज से ऊदबिलाव का

मैंने इक खेमे के भीतर 

मिलते देखे साँप छछूंदर


चलो दिखाऊँ दानवीर ने

कई हवाला किये हुए हैं

लगता है सब मिले हुए हैं


पाप पुण्य में कितना अंतर

मिलते दोनों मन के भीतर

शास्त्र शस्त्र बिन रहा अधूरा

प्यार कहाँ नफरत बिन पूरा


खुद सोचो क्यों चक्र सुदर्शन 

मुरली वाला लिए हुए है

लगता है सब मिले हुए हैं



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