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Uday Pratap Dwiwedi

Romance Tragedy Fantasy

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Uday Pratap Dwiwedi

Romance Tragedy Fantasy

न जाने क्या क्या' लिक्खा तूने'

न जाने क्या क्या' लिक्खा तूने'

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न जाने क्या क्या' लिक्खा तूने' मेरे प्यार को पढ़कर 

मेरा तो दिल भी रोया है तेरे अशआर को पढ़कर


सुना है तू बड़ा बेबाक है फिर सामने तो आ

सुना मेरी वफ़ा की असलियत बाज़ार को पढ़कर


नहीं मालूम दुनिया को खबर सच है या अफवाह है

वो' बस सच मान लेती है सुबह अख़बार को पढ़कर


गुनाहों पर मेरे जब फैसला होगा तो सुन उस दिन

अदालत खुद भी' रो देगी मेरे किरदार को पढ़कर



साहित्याला गुण द्या
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