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इंजीनियर पपुआ

इंजीनियर पपुआ

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पपुआ देख बना अभियंता 

माँग माँग सूट बूट पहनता 

रोज रो रहा किस्मत फूटी 

बेकारी की देख सघनता

 

पहली साल जो नाम लिखाया 

सीना चौड़ा खूब दिखाया

समझ रहा था मैं हूँ काबिल 

रोज असाइन्मेंट बनाया 

 

एक सेमेस्टर बीता जैसे 

भूल गया सब चपल चलंता

पपुआ देख बना अभियंता

 

बना के फर्रे पास हो गया

जो दादा था दास हो गया

घूम रहा अब गलियों गलियों

बकरा फिर से घास हो गया

 

बेगारी करता जा जा के

भूल गयी दुनियाँ सज्जनता

पपुआ देख बना अभियंता

 

भटका  भटका आज युवा है 

सपने उसके धुआं धुआं हैं 

देखो उनको जरा पलटकर

कहीं अधर में पड़ा हुआ है

 

रोजी रोटी  के चक्कर में

कहाँ देश और कैसी जनता

पपुआ देख बना अभियंता  

 

 

 

ये हैं समय समय की बातें

बेकारी में कटती रातें

सपने देखे बड़े बड़े थे

सूखी आँखों की बरसातें

 

खिले फूल भी सूख रहे हैं

पीड़ा हरो वीर हनुमंता

पपुआ देख बना अभियंता

 

फिर पपुआ लेकर आऊंगा

दिल का दुखड़ा बतलाऊंगा

कैसे अपना युवा जी रहा

उसकी तड़पन समझाऊंगा

 

सुनने वालों सुनते रहना

हरी अनंत हरी कथा अनंता


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