जो अख़बार बेच रहा है हज़ारों के घर में, उसका भी चेहरा इक दिन अख़बार में होगा। जो अख़बार बेच रहा है हज़ारों के घर में, उसका भी चेहरा इक दिन अख़बार में होगा।
अब किस के पास जाएँ फ़रियाद ले के हम, है वक़्त बेरहम थानेदार की तरह..... अब किस के पास जाएँ फ़रियाद ले के हम, है वक़्त बेरहम थानेदार की तरह.....
खुशफ़हमी है तुम्हारी ये सोचना कि तुमअसरदार हो गए । खुशफ़हमी है तुम्हारी ये सोचना कि तुमअसरदार हो गए ।
सुबह की मेहनत देखी, दोपहर की धूप नहीं सुबह की मेहनत देखी, दोपहर की धूप नहीं
प्यासा ही लौट आया वो वहाँ से अथाह जल देखकर ! प्यासा ही लौट आया वो वहाँ से अथाह जल देखकर !
दुआयें दी हैं चोरों को हमेशा दो किवाड़ों ने कि जिनके डर से ही सब उनको आपस में मिलाते हैं । दुआयें दी हैं चोरों को हमेशा दो किवाड़ों ने कि जिनके डर से ही सब उनको आपस में मिल...