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बेरहम वक़्त

बेरहम वक़्त

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ज़िन्दगी है गिरती दीवार की तरह |

हालात चल रहे हैं बीमार की तरह |  


उम्मीद हिफ़ाज़त की कोई क्या करे उनसे,

बुत बन के जो खड़े हैं पहरेदार की तरह |


ख़ुद से हूँ बेख़बर मैं, मुझको पढ़ेगा कौन,

दीवार पे चिपका हूँ इश्तेहार की तरह |


बेहतर नहीं है कुछ भी पढ़ने के वास्ते,

है ज़िन्दगी के पन्ने अख़बार की तरह |


अब किस के पास जाएँ फ़रियाद ले के हम,

है वक़्त बेरहम थानेदार की तरह |

             


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