फासला काम ना आया
फासला काम ना आया
वो फासला काम ना आया मजबूरियों को देखकर
घबरा सा गया हूँ मैं टूटते रिश्तो की रफ़्तार देखकर
दीवारों पर छिपकर रोये सिसकियाँ निकलती रही
दिल टूट गया अपनों के बीच की वो दीवार देखकर
उनको खबर भी ना हुई कि कब सब बिखर गया
डर गया मैं उनकी तस्वीर को अख़बार में देखकर
बरसों के बाद भी न ही खत्म हुआ उनका इंतजार ,
आंखों से आंसू बहने लगे टूटा हुआ संसार देखकर
यह फासले तुमने ही बढ़ाए थे अपनी खुशियों के लिए,
पर वह खुशियां ही लौट गई तुम्हारा व्यवहार देखकर,
तुम्हारे दूर जाने पर भी वो फासला काम ना आया,
बदलने लगे हैं लोग मुखोटे ये जाली संसार देखकर,
वो गहरा दरिया भी प्यास बुझा ना सका पास रहकर
प्यासा ही लौट आया वो वहाँ से अथाह जल देखकर !
